समझो
समझो खेल वक्त की मन में जो है तुमने ठान ली पड ना जाए भारी तुमको मुर्ख हैं जो चुनौैती देते है समय को हक समझते हो किसे अपना ? जो दिया तुमको है किस्मत ने या सोचते जो मेहनत से है कमाया है वो वक्त ही जिसने तुमको हर पल है सिकंदर बनाया... परिवर्तन दास है उसकी मोह ना कर तु उस्से जिसे समय ने है गोद में दाला तेरी छीन ना जाये कहीं वो तुझसे रहेगा ना कुछ भी तेरा है तु हर पल अकेला घमंड कर ना शान पे वक्त के खेल को तु समझ ले|